मैं कहूं तुम्हारी आंखें कोई झील जैसी हैं
मैं कहूं तुम्हारे होंठ गुलाबी फूल जैसी हैं
मैं कहूं तुम्हारे दांत कोरल मूंगें जैसी हैं
और इसे तुम अपनी सुन्दरता समझो तो
मुझे लगता है ये तुम्हारी कोई भूल जैसी है
क्योंकि सुंदरता और सौंदर्य में फर्क होता है
तुम्हारी आंखों को झील कहें तो
झील का पानी सूख भी सकता है
तुम्हारे होंठ को गुलाबी फूल कहें तो
गुलाबी फूल मूर्झा कर टूट भी सकता है
तुम्हारे दांत को कोरल मूंगा कहें तो
एक समय के बाद मूंगों के चमक छूट भी सकता है
झीलों का सूखना पून: पानी से भर जाना
गुलाबों का मूर्झाना तनों पर नये फूल आना
मूंगों का समय के साथ बनना क्षय हो जाना
ये सौंदर्य में वृद्धि और उनकी कमी को दर्शाता है
व्यक्ति सौंदर्यवान होने से सुंदर नहीं हो जाता है
क्योंकि सुंदरता और सौंदर्य में भी फर्क होता है
व्यक्ति का दोष है अहंकारी होना
और अहंकार त्याग कर ही व्यक्ति सुंदर हो पाता है
व्यक्ति का दोष है दूराचारी होना
व्यक्ति अपने आचरण में सुधार करके ही सुन्दर हो पाता है
स्त्री का दोष है शालीन, सीतल और चरित्रवान न होना
और यह सब होकर ही एक स्त्री सुंदर कहलाती है ।
- कवि शुभम कुमार