इकरार करो या इंकार करो
अब बस बात यहीं तुम स्वीकार करो,
हम तुम्हें पसंद करते हैं तुम करती हो कि नहीं?
हम तुमपे मरते हैं तुम हमपे मरती हो कि नहीं?
मेरा एक ही उशूल है कि
किसी को दिल में रखा जाये,
अगर दिल में कोई रह ना सके तो
उसे बाईज्जत ज़हन से निकाल दिया जाये
किसी को रखना भी हो कहीं तो जहन में
किसी को क्या रखा जाये,
जब रखने के लिए किसी के पास
दिल जैसा मंदिर हो तो उसे वहां रखा जाये
ज़हन में शैतान भी रहता है,
भगवान भी, मगर दिल मंदिर है
और मेरा मानना है मंदिर में
केवल भगवान को रखा जाये
भगवान होने के लिए
किसी को भगवान होना होता है
एक विचार के शिवा
सबको खोना होता है
तुम केवल मेरा विचार करो तो
दर्जा मुझसे मेरे भगवान का पा लो
वर्ना परेशान करो मुझे और करके
तुम दर्जा शैतान का पा लो
या फिर हटो मन से,जहन से
विचारों का हवा आने दो,
किसी को मेरा विचार करने दो
किसी को मेरा, किसी का
मुझे भगवान बनने दो ।।
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