Friday, May 31, 2024

कविता:- अगर तुम्हें मेरी अर्धांगिनी होना हो

 तुम मेरी प्रियसी हो 

तुम्हें मैं पत्नी बनाकर

अपने प्रियसी को खोना नहीं चाहता हूं


तुम्हें चुनना होगा

तुम्हें मेरे साथ होना है

या फिर मेरा होना है


मेरा होने के लिए 

तुम्हारा मेरे साथ होना जरूरी नहीं 

तुम जहां रहोगी मेरे दिल में रहोगी 


मगर मेरे साथ किसको होना है

ये फैसला मेरा नहीं है मेरे मां पिताजी का है


तुम्हें मेरे साथ होना है तो बस मैं इतना कर सकता हूं

तुम्हारा प्रस्ताव मैं उनके सामने रख सकता हूं ।

तुम्हें खुदको उनके सामने सिद्ध करना होगा

उनकी कसौटीयों पर तुम्हें खरा उतरना होगा


तब जाकर बनोगी तुम मेरी अर्धांगिनी

नहीं तो मैं कभी नहीं जाउंगा उनके खिलाफ

ये बात मैं तुम्हें कर देता हूं साफ 

चाहे हो ना सके हमारे साथ इंसाफ

मैं अपने मां बाप के आशिर्वाद की जगह 


कभी नहीं लूंगा उनका श्राप ।

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