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Saturday, March 19, 2022

पुष्प की अमरता

 



कितने सजीव , कितने जीवंत हैं ये पुष्प!

इनकी खूबसूरती अमर हैं इनके बीजों में

जब ये चमकें हैं, ये महकें है, तब 

इनकी पीढ़ियां चमकती रहेंगी सदा 

जो पतझड़, धूल और धूप सहे 

वही जीवित और जीवंत रहेंगे यहां


वे क्या जीवित रहेंगे जो संघर्षों से हार गए

वे क्या जीवंत रहेंगे जो ना दुखों के अपने पार गए

दुखों के अपने पार सजीवता

संघर्षों में ही जीवन है

लड़ते रहें हम हर कठिनाई से

हर दुखों का हम समन करें

बार बार हम पल्लवीत हों

पुष्पों की भांति महकें और जियें मरें ।


                                      






नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...