ये जो डर सा लगा रहता है
खुद को खो देने का,
ये जो मैं हूं
वो कौन है ?
जो मैं हूं !
मैं एक शायर हूं ।
एक लेखक हूं ।
एक गायक हूं मगर
मैं रह सकता हूं सदा
जो मैं हूं
कौन कहता है मुझे ?
कि लिखने के लिए
मखमल की मेज़ चाहिए,
फूलों की सेज चाहिए और
खाने को नानवेज चाहिए,
नहीं ! मैं हर स्थिति में
वही हूं जो मैं हूं
मैं एक शायर ! हूं
लेखक ! हूं, गायक ! हूं।
ये सांसारिक भोग की वस्तुएं
जरूरत तो हैं मेरी मगर
अभिलाषा नहीं मेरी
मेरी अभिलाषा है कि
मैं जीवन भर शायर रहूं
लेखक रहूं, गायक रहूं ।
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