Showing posts with label essay. Show all posts
Showing posts with label essay. Show all posts

Saturday, February 8, 2020

एक प्रश्न खुद से

हैलो !  आप जो भी हैं आपसे मेरी आग्रह है कि आप ध्यान पूर्वक इसे पढ़े और इसकी खूबी जानकर आप लोगों तक इसे भेजें, अगर यह आपके लिए उपयोगी ना हो सके तो मुझे माफ करें मगर कोई है जो इन बातों को जानने के लिए उत्सुक और परेशान है और उसे इसकी सख्त जरूरत है ।

मेरा नाम शुभम कुमार है और मैं बीए प्रथम वर्ष का छात्र हूँ । जब मैं कक्षा दसवीं का छात्र था तब मैं काफी होनहार और कुशल था । मैंने दसवीं की परीक्षा की तैयारी जोरों शोरों से की थी परीक्षा से दो महीने पहले हमने अपना पूरा पाठ खत्म कर लिया था मगर जब हम लोगों की अर्थात मेरी और मेरे सहपाठीयों का परीक्षण हमारे गुरु द्वारा प्रारंभ हुई तो मैंने देखा कि बहुत प्रश्नों का उत्तर हम जाने के बावजूद भी नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि हमारे गुरु जन संभवत वह सुनना चाहते थे जो किताबों में और हमारी कॉपियों में लिखी होती थी और हम उस क्रमबद्धता  से जिस क्रमबद्धता से किताबों और कॉपीयों में लिखा होता था उत्तर देने में असमर्थता महसूस करते थे इस प्रकार की उलझनों से हम काफी निराश थे ।


 मगर इसका अर्थ कतई यह नहीं था कि हम कुछ नहीं जानते थे संभवत हम इतना जानते थे कि उस वक्त उस किताब में भी उतना नहीं दिया गया है क्योंकि हमने पूरे एक साल उन किताबों के अलावा कई गुरुओं से शिक्षा ली थी जिन्होंने उन किताबों के साथ-साथ अपने जीवन से जुड़ी वो बातें भी बताई थी जो उन किताबों में भी नहीं दी हुई थी तो फिर यह उलझन क्यों  थी ?इसलिए क्योंकि सवालें तो बहुत थीं मगर उस तरह से पूछने वाला कोई नहीं था जिस तरह का जवाब हम दे सकते थे इसलिए मैंने फिर खुद से मन ही मन एक एक सवाल करना शुरू किया और मैं निरुत्तर नहीं था मेरे पास सभी सवालों के लिए कुछ न कुछ अच्छा जवाब था दरअसल हमारा मस्तिष्क ज्ञान को रखने वाला एक भंडार है परंतु इसका किसी चीज को कैसे रखना है रखने का एक अपना तरीका है अगर आप किसी चीज को किताबी भाषा और किताबी क्रमबद्धता से रखने और रटने की कोशिश करेंगे तो आप इसे भूल जाएंगे जैसा कि मैं भूल जा रहा था इसलिए मैं अपने गुरु के प्रश्नों के उत्तर देने में असमर्थता महसूस करता था इसलिए आपका फर्ज बनता है कि आप सभी जो किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं अभी से अपने मस्तिष्क को एकाग्र करें और आप खुद से प्रश्न करना शुरू करें आप पाएंगे कि आपको हर प्रश्न का उत्तर मालूम है । धन्यवाद ।

                                                              -शुभम् कुमार 

Tuesday, January 14, 2020

सपने हमारे जीवन में विचार मात्र है जो हमें अपने जीवन में भिन्न-भिन्न प्रयोग करने के लिए प्रेरित करता है

              सपने और सच के बीच का फर्क



सपने और सच के बीच में फर्क बस इतना है कि जब कोई नींद में होता है तो वह सपनों में होता है और जब उसकी आंखें खुलती है तो उसे सच का आभास होता है लोग नींद में सपनों को देखने को महत्व नहीं देते हैं जितना कि वह जागते हुए देखे सपनों को महत्त्व देते हैं इसलिए कलाम ने कहा है कि "अगर सपना देखना ही है तो बंद आंखों से नहीं खुली आंखों से देखो" खुली आंखों से तात्पर्य है पूर्ण चेतना में आकर किसी सपने को देखना सपने तो सभी देखते हैं पर उसे पूरा करने का साहस कुछ लोग ही कर पाते हैं और कुछ लोग तो बस सपने देखते हैं और बस देखते हैं अगर आप महान लोगों को पढ़ेंगे तो आप पाएंगे कि वह हमें यही सिखाते हैं कि जरूरी नहीं है आपका हर सपना सच हो जाए, मगर जिस  सपने को आपने देखा है उसे एक बार पूरा करने की कोशिश तो अवश्य करें और उसको अपने जीवन में महसूस करें तभी आपके द्वारा देखे गए सपनों का महत्व है ।

आपको क्या लगता है बल्ब का आविष्कार करने वाला थॉमस अल्वा एडिसन अपनी बुद्धिमता के बदौलत बल्ब का

आविष्कार किया होगा उसने इसे बनाने के लिए हजारों प्रयोग किए थे तब जाकर बल्ब बन सका था अगर उसने बुद्धिमता की बदौलत बनाने की कोशिश की होती है तो वह कभी बल्ब को बना नहीं पता या फिर उसने एक ही प्रयोग में इसे बना लिया होता मगर नहीं उसने ऐसा कुछ नहीं किया बस उसने एक सपना देखा कि उसे पूरी दुनिया को रोशनी से भरा हुआ देखना था और उसी सपने को पूरा करने के लिए वह पूरी निष्ठा से जुट गया जिस दौरान वह प्रयोग कर रहा था उसके हजारों असफल प्रयोग उसे कुछ न कुछ नया सीख दे रहे थे उसी प्रकार हमारे सपने हैं जो हमें किसी चीज को करने का विचार देते हैं और अगर हम उस विचार पर अमल करते हैं और उस सपने को पूरा करने की कोशिश करते हैं तो संभवत कभी कभार हमें असफलता का सामना करना पड़ता है पर हमारा हर सपना और उन सपनों को पूरा करने की कोशिश हमें कुछ ना कुछ नया सीख देता है इसलिए हमें सपनों को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए ।

दोस्तों ये आलेख आपको कैसा लगा अपना विचार अवश्य दें 

नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...