कुछ कर रहा हूँ,
जो कहा है ना तुमने
जो कहा है ना तुमने
उन विचारों से लड़ रहा हूँ
कुछ देर से मिलेगा मेरा जवाब
तुम्हारी बातों का,
मुझे अक्सर सोचकर
कुछ कह देना अच्छा लगता है
यूं ही शायद कह दिया हो
तुमने मेरे बारे में
अच्छा होता तुम मेरे बारे में
अपने दिलों से पूछकर कहती
जो भी तुमने मेरे बारे में कहा,
वो बुरा कहा
दिलों से पूछ कर कहती
तो कुछ अच्छा कहती
मौन हूँ मैं तुम्हारी बातों को सुनकर
लेकिन उनसे अंजान नहीं,
कुछ भी कह दूँ
मैं इतना भी नादान नहीं
जो तुमने कहा है,
मैं तुम्हें उसका ही क्यों?
जो तुम कहते कहते चुप हो जाती हो
तुम्हे क्या लगता है ये तुम्हारी खामोशियां
कुछ नहीं कहती हैं मुझे ?
सब्र रख मैं तुझे एक दिन तेरी
इन ख़ामोशियों का जवाब भी दूंगा ।।

Nice one guy's
ReplyDeleteOne of the best poem bhai
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