कविता:- उन रास्तों को क्यों भूलें
जिस मंजिल का सफर सुहाना होगा
उस मंजिल का कौन नहीं दीवाना होगा
जिस मंजिल का सफर सुहाना होगा
उस मंजिल पर ठहर कर क्यों समय गवाना होगा
उन रास्तों पर हम चलते जाएंगे हंसी खुशी
मंजिल तो सिर्फ उन रास्तों पर चलने का बहाना होगा
वह मंजिल बहुत सुहाना होगा - वह मंजिल बहुत सुहाना होगा
डगमगायेंगे हमारे पैर झूमेंगे हम मस्ती में
उस मंजिल की हम क्यों फिक्र करेंगे
जो मिलेंगे हमें हर बस्ती में
बस झूमेंगे हम मस्ती में
ठहरेंगे हम कभी नहीं इन रास्तों में ना हमारा कहीं पड़ाव होगा
हम चलते जाएंगे उन रास्तों पर मंजिल पर भी नहीं हमारा ठहरा होगा सोचेंगे हम कभी नहीं हमें जाना कहां है
ना हम पूछेंगे किसी से कि हमारे मंजिल का ठिकाना कहां है
इस मंजिल से दूर कहीं कोई और भी तो ठिकाना होगा
फिर से चलेंगे हम उस मंजिल पर
जिस मंजिल का सफर सुहाना होगा
उस मंजिल का कौन नहीं दीवाना होगा
हम तो बस सफर को चाहेंगे
उस मंजिल का कौन दिवाना होगा ?
About its creation:-
किसी ऐसे व्यक्ति से बात कीजिए जो आपके आकर्षण का कारण बना हो,
आपका उससे क्या रिश्ता है यह आपको सोचने की जरूरत नहीं है आप सिर्फ यह सोचिए कि आपको उससे बात करने में कैसा लग रहा है आपका उसके प्रति सच्ची आस्था एक विश्वास होना चाहिए और उसका आप के प्रति। आप कुछ दिनों के बाद अपने विश्वास को परखने के लिए
रिश्ते की सबसे निचली डोर के गांठ पर अपना हाथ रखिए वो अपने हाथ को उस डोर के पीछे खिंचेगी यदि वह सच्ची और अच्छी होगी तब वह आपको अपने रिश्तों की सीमा बताएगी वह यह नहीं पूछेगी कि आप उसके साथ कितने कदम चलना चाहते हैं वह सिर्फ इतना बताएगी कि आप कितना दूर तक इस रिश्ते को ले जाना चाहेंगे क्योंकि वह तो उसी वक्त अपनी सीमा आपको बता चुकी होगी यदि आप सच्चे होंगे तब आप भी अपने रिश्तों की मर्यादा से ज्यादा नहीं चाहेंगे।
आपका उससे बात करना कितने ही लोगों को अच्छा नहीं लगेगा और अच्छा भी क्यों लगे ? क्या आप उसे उतना जानना चाहते हैं जितना कि लोग आप दोनों को तब आपका पूरा हक है उसे आप बदनाम कीजिए आपको पूरा हक है क्योंकि तब उसकी बदनामी आपसे जुड़ी होगी पर आपको ये हक नहीं है कि आप किसी को इसलिए बदनाम करें कि आप उसे चाहते हैं अगर आप अपने पिछे मुड़कर देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि चाहने वालों की भीड़ में आप अकेले नहीं और भी कई होंगे इसलिए आपको उसकी इज्जत का ख्याल रखकर अपना स्वर्ग सजाने की बात करनी होगी । स्वर्ग किस बात की हो ? स्वर्ग आपके रिश्तों की सीमा की हो जिस सीमा में आपके रिश्तों की उम्र हमेशा लंबी रहे आप हर रिश्तों को एक दोस्ती का नाम दीजिए और आपको जो भी कहना हो खुलकर कहिए क्योंकि दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसमें हर बात को सुनने की क्षमता होती है इस कविता में दो ऐसे साथी प्रेरणा के श्रोत बनें हैं जो सिर्फ मंजिल की ख्वाहिश रखते हैं क्योंकि वो हमेशा दोस्त बने रहना चाहते हैं ।
Thought:-
रिश्ता कोई भी हो यदि हम उसमें दोस्ती का भाव जोड़कर देखें तो हर रिश्ते में रिश्तों से जुड़े व्यक्ति के व्यक्तित्व को जाने का मौका मिलेगा।ञ



