"भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है"
27 सितंबर 2019 को मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र में यह वक्तव्य दिया था और लोगों का ध्यान आतंकवाद फैलाने वाले कुछ शरारती तत्वों की तरफ आकर्षित किया था, तब बुद्ध मानो सदियों से चले आ रहे भारत के एक बड़े विरासत के , एक धरोहर के तौर पर अचानक उभर आए देश प्रेमी लोगों ने तो गर्व से अपना सीना चौड़ा किया ही होगा लेकिन न चाहते हुए भी उन्होंने भी सांस खींचकर दंभ भर दिया होगा जो हर वक्त अपने अधिकारों में डूबे रहते हैं। जो किसी को अपने आगे देखना नहीं चाहते हैं जिनकी अवधारणा में बुद्ध धर्म कोई भी धर्म नहीं है, जो अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बुद्ध को अपने 33 करोड़ देवी देवताओं में स्थान देने का झूठा दावा पेश करता रहता है ।
उन्होंने ही 27 मई और 22 मई को उत्तर प्रदेश,बसंतपुर के सांकिसा में बौद्ध विहारों को क्षति पहुंचाया उसके दिवारों को तोड़ दिया और वहाँ रह रहे बौद्ध भन्तो को बंदूक की नाल पर प्रताड़ित किया और जान से मारने की धमकी दी इसलिए क्योंकि आज राम मंदिर बनाने के लिए जो चोरी छुपे खुदाई हो रही है। उसके खिलाफ कुछ भन्तो ने आवाज उठाई थी वहाँ मिल रहे अवशेष और बौद्ध स्तूप अयोध्या को बौद्धों की प्राचीन नगरी साकेत बता रही है जिसे राजा बृहद्रथ का और करोड़ों बौद्धों का सर काट कर निच ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने अयोध्या बना दिया था।
राम एक काल्पनिक कहानी का पात्र है और कुछ नहीं यह केवल मैं नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी मानते थे।
कुछ ब्राह्मण अपना हित साधने के लिए एक काल्पनिक पात्र को जो कभी था ही नहीं उसको भी उसका होना बता रहे हैं।
कुछ लोगों का मानना है और इतिहास के सबूत बताते हैं कि राम कोई और नहीं साकेत का राजा जो अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है पुष्यमित्र शुंग ही है। और ब्राहमणों की मंशा राम के नाम पर अपने प्रिय राजा जो करोड़ों बौद्धों का खूनी है पुष्यमित्र शुंग को लोगों से पूजवाना चाहता है, वह चाहता है कि वह राम राज्य लाकर लोगों से फिर छूआ छूत और जात पात के नाम पर उच्च हो सकता है वह जानता है कि वह एक बौद्ध ही हैं जो उसके ढोंग का पर्दा फास कर सकता है, वह बौद्ध ही हैं जो इस समाज में समता , मैत्री और करूणा का संचार कर सकते हैं मगर अपनी रोटी सेंकने के लिए ब्राह्मण लोगों के बीच भेद भाव बनाये रखना चाहते हैं। वे ये नहीं जानते कि वो जिन बौद्धों पर अल्पज्संख्यक समझकर अत्याचार करने की कोशिश कर रहे हैं आज इसमें sc / st / obc जो भारत की 85% आवादी है, वो भी बौद्धों के संरक्षण में हैं और ज्यादातर खुद को बौद्ध के तौर पर देखते हैं और उन बौद्धों के साथ खड़ा है जिन पर सवर्ण और मनुवादी जाहिल समाज अत्याचार करने और उसे उखाड़ फेंकने की कोशिश में है ।


