Friday, May 22, 2020

बहुत कुछ करना चाहता हूँ।


बहुत कुछ करना चाहता हूँ 
बहुत कुछ छूट जाता है
मैं शायद थक जाता हूँ
जुनूँ मेरी नहीं थकती
काम से नहीं, मैं थकता हूँ
समय से लड़ते-लड़ते

मैं जब विस्तर से उठता हूँ
तो हर वो काम करता हूँ
जिसमें खुशी हो मेरी माँ की
पिता के शान का ख्याल रखता हूँ
एक छोटी सी बहन है मेरी
एक बड़ा भाई है मेरा
जो मुझसे भी नादान है
उनकी खुशियों का ख्याल रखता हूँ
सोचता हूँ अगर मैं नहीं तो करेगा कौन ?

मैं करता हूँ समय से लड़ना पड़ता है
मगर मैं लड़ता हूँ
उनकी खुशियों की खातिर
बहुत कुछ करना चाहता हूँ
बहुत कुछ छूट जाता है
मैं शायद थक जाता हूँ
जुनूँ मेरी नहीं थकती ।।



















No comments:

Post a Comment

नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...