कविता:- कमियों से लड़ने का नाम जिंदगी है
कमियां किसके अंदर नहीं है
कमियों के नाम जिंदगी है
जो कमियां से नहीं लड़ता
उसका बदनाम जिंदगी है
कमियां हमें कमजोर करने पर लगी रहे
हमें जरूरत है उसे पछाड़ते रहने की
कमियों को जिंदगी से दूर करने की
और अपनी जिंदगी को संवारते रहने की
कला सबके अंदर होती है
कमियों को दूर करने की
कोई खड़ा तो हो और कोशिश तो करें
उन कमियों को दूर करने की
कमियां लाख हो तुम्हारी जीवन में
उसे जिंदगी में ज्यादा नहीं महत्व देना है
कमियों को अपनी जिंदगी में नहीं स्वामित्व देना है
कैसे जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा
कमियों के नाम हो जाता है,
कमियों को अपने ऊपर हावी होने देने वाला
कोई इंसान बदनाम हो जाता है।।
About its creation:-
यह सच है की कमियों और कमजोरियां सबके अंदर है इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि उसे दूर करने की कला भी सबके पास है पर जब हमारा कमियों और कमजोरियों के सामने हौसला टूटता है तो वह हमारे अंदर घर बना लेता है हम उसे अपने मन मस्तिष्क में स्थान दे देते हैं जो हमारी सबसे बड़ी गलती है यदि हमारे अंदर कोई कमी है तो हमें उसका डटकर सामना करना चाहिए और तब तक हार नहीं मानना चाहिए जब तक की उस कमी का समाधान न मिल जाए हमारा जीवन अनमोल है ऐसे में यदि हम कमियों को अपने जेहन में, अपने जीवन में स्थान देते हैं तो समझ लीजिए कि आधी जिंदगी हम उन्हीं कमियों से परेशान रहेंगे इसलिए यदि हमें जीवन में खुश रहना है तो हमें हर उस चीज से परहेज करना चाहिए जो आगे चलकर हमारी कमजोरियों का कारण बन जाए । हमने देखा है कि जब हमारे अंदर कोई कमजोरी या कमी पनपती है तो हम लोगों से मिलने से घबराते हैं उनसे बात करने से घबराते हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि हम उन कमियों को लोगों से छिपाना चाहते हैं जो कि गलत बात है ऐसे में तो हम उन कमियों के दूष चकर से कभी बाहर ही नहीं निकल पायेंगें हमें अपनी कमियों को लोगों के समक्ष नजर अंदाज़ करना सीखना होगा और उससे लड़ना होगा और जो इस लड़ाई में हमारा साथ दे सकता है उसका साथ लेना होगा तभी हम अपनी कमियों को दूर कर पायेंगे ।
Thought:-
अपनी कमियों को लोगों के सामने नजर अंदाज करना सीखिए
नहीं तो आपका विश्वास खुद पर से उठ जाएगा ।
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