ज्यादातर लोग भुलक्कड़ होते हैं । इस तरह के लोग समय के अभाव से जूझते हैं । उनका दिमाग उनके दुख, उनके उनके क्रोध और उनके पश्चाताप में ही व्यस्त रहता है । वे जीवन का आनंद, जो हमारे आसपास प्रत्येक कण और हर क्षण में मौजूद है, उठा नहीं सकते । उन्हें जीवन के इस आनंद का कोई ज्ञान ही नहीं है ।
बल्कि उन्हें तो इसका एहसास ही नहीं है कि वे जीवित है और इसी पृथ्वी में है । इसका क्या कारण है ? दरअसल हम या तो अपने अतीत में व्यस्त रहते हैं या फिर अपने भविष्य में । हमें अपने वर्तमान की, मौजूदा क्षण की कोई चिंता ही नहीं है ।जिसमें गहरे डूबकर हम अपने जीवन का आनंद ले सकें । इसी को भुलक्कङपना कहते हैं । हम भूल गए हैं कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है । भुलक्कङपन के विपरीत है हमारे मस्तिष्क का सक्रिय और सचेतन होना । ऐसी स्थिति में हम वर्तमान में जीते हैं, उसके प्रत्येक पल का आनंद उठाते हैं, हमारा शरीर और मस्तिष्क वर्तमान में रहता है यही तो चेतना है । हम बेहद कुशलता से सांस लेते और छोड़ते हैं, अपने मस्तिष्क को शरीर के साथ ले आते हैं, नतीजतन हम यहीं वर्तमान में, इसी क्षण में होते हैं । जब हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर के साथ होता है, तब हमारा वर्तमान में होना अवश्यंभावी है । सिर्फ वैसी परिस्थिति में ही हम प्रसन्नता की उन शर्तों को पहचान सकते हैं, जो हमेशा हमारे आस-पास ही रहते हैं । प्रसन्नता या खुशी दरअसल प्राकृतिक रूप से आती है। यह स्वभाविक है । चेतना का अभ्यास प्रयास से या श्रम करने से नहीं आता, बल्कि स्वाभाविक रूप से आता है और उसका अनुभव आह्लादित करने वाला होता है । क्या सांस लेने में आपको श्रम करना पड़ता है ? चेतना का अभ्यास भी वैसा ही है । मान लीजिए कि कुछ दोस्तों के साथ आप कहीं सूर्यास्त का मनोहर दृश्य देखने के लिए गए हैं ।
क्या वह दृश्य देखने में आपको श्रम करना पड़ता है ? नहीं, आपको को कोई श्रम नहीं करना पड़ता । आप सिर्फ इसका आनंद उठाते हैं । सांस लेने के साथ भी यही सच है । आपको सिर्फ इतना भर करना होगा कि सांस आराम से ली और छोड़ी जा सके । आपको इस से अवगत होना पड़ेगा और इसका आनंद उठाना पड़ेगा । लेकिन इसमें अतिरिक्त समय न लगाएं । ध्यान रखें कि आनंद ही जीवन का उद्देश्य है,और जीवन का हर कार्य आनंद उठाते हुए बहुत ही सहजता के साथ किया जा सकता है । हमारे चलने और टहलने का आनंद प्राप्त करना होना चाहिए । हमारे जीवन का हर कदम आनंदपूर्ण हो सकता है । आपको जीवन के आश्चर्य से परिचित कराता हुआ चलता है । हर कदम में शांति है । प्रत्येक कदम में आनंद है । यह संभव है ।


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