यूँ ही तुम मेरी नहीं हो जाओगी,
ज्यों मैं तेरा नहीं हूँ।
कोशिश तो कर रहा हूं मैं तेरा होने की,
पर मैं एक दिन तुम्हारी कोशिश भी देखूंगा।
वक्त आने दे ए-हसीना,
तुम्हारा पसीना बहाकर भी देखूंगा।
जितना शिद्दत से चाहता हूं मैं तुझे,
तेरी वफा-ए-शिद्दत भी देखूंगा।
जिस चांद की तू बातें करती है अक्सर,
उस चांद पर भी जाकर देखूंगा।
आसमां पूरी होगी मेरी,
तुम्हें अपनी जमीं बना कर देखूंगा।
जितना आजमा रही है तुम मुझे
उतना आजमा कर देखूंगा।
How it create- कोई पसंद आ गई हो तो थॉमस कैरयू की एक बात याद रखना कि वह पसंद तुम्हारी केवल खूबसूरत ना हो।
क्योंकि हर वह चीज जो बाहर से खूबसूरत होती है उसके पीछे की सच्चाई कुछ और होती है। अगर तुम्हें किसी को पसंद ही करना है तो किसी के गुलाबी होठों से, मुंगे जैसी दातों से, सागर जैसी नीली आंखों से ही क्यों ? उसके दिल के जज्बातों से करो, पसंद हो उसकी प्यार वाली बातें तो उन बातों से करो।क्योंकि अक्सर यह देखा गया है कि लोग अपना परिचय देने के लिए इन्हीं बातों का प्रयोग करते हैं और जब उनके बातों से, उनसे परिचित हो जाओ तो शौक से उन्हें अपना बनाओ पर किसी को चुनने से पहले अपने मन के आईने को इतना साफ कर लेना कि उस समय जिस-समय तुम किसी को चुनो तुम्हारा मन सच्चाई को अच्छे से देख सके क्योंकि मन बहुत चंचल होता है, जब हम किसी को देखते हैं तो दिल में बहुत हलचल होता है। इस हलचल में अक्सर हमारा मन वह भी देख लेता है जो बिल्कुल नहीं होता है।
- शुभम् कुमार
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