Hii guys, Welcome to our blog Poetic Baatein you will read here a lot of poems, stories and many thoughts which I have written here and in future whom I shall write.
Saturday, April 2, 2022
I Am With Single
Inside the heart we are same
Inside the heart we are same
Outside which we want to show
Is our happiness and our goodness
Sadness or harsness No one want to show
Inside the heart we are same
Outside which we want to show
Is our beauty and our glow
Ugliness or darkness no one want to show
Inside the heart we are same
Outside which we want to show
Is our lifelike smile and our simplicity
Tears or barburness no one want to show
Everything we can hide from oneself but
We can never hide nothing from ourselves
Sadness and harsness we can hide
but happiness and goodness never
This is the goodness of our heart
Thus we can say we are same at heart
Ugliness and darkness we can hide
but beauty and glow never
This is the goodness of our heart
Thus we can say we are same at heart
Tears and barburness we can hide
But smile and simplicity never
This is the goodness of our heart
Thus we can say we are same at heart.
Saturday, March 19, 2022
पुष्प की अमरता
कितने सजीव , कितने जीवंत हैं ये पुष्प!
इनकी खूबसूरती अमर हैं इनके बीजों में
जब ये चमकें हैं, ये महकें है, तब
इनकी पीढ़ियां चमकती रहेंगी सदा
जो पतझड़, धूल और धूप सहे
वही जीवित और जीवंत रहेंगे यहां
वे क्या जीवित रहेंगे जो संघर्षों से हार गए
वे क्या जीवंत रहेंगे जो ना दुखों के अपने पार गए
दुखों के अपने पार सजीवता
संघर्षों में ही जीवन है
लड़ते रहें हम हर कठिनाई से
हर दुखों का हम समन करें
बार बार हम पल्लवीत हों
पुष्पों की भांति महकें और जियें मरें ।
Monday, December 14, 2020
कविता:- तुम अकेले खड़े हो जाओ
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
पहले तुम तो कदम बढाओ
तुम अकेले खड़े हो जाओखड़े हो जाओ बीच चौराहे पर
दम भर कर आवाज उठाओ
जुर्म और अन्याय के खिलाफ
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कब तक डरोगे तुम
जिंदे मुर्दों की तरह
जिनमें मरकर भी खुद जाने
की साहस नहीं शमशानों तक,
सङे गलेंगे खुद ही कहीं
कोई ले जाएगा भी नहीं
उन्हें जलाने मसानों तक
खड़े हो जाओ तुम जिंदा हो अगर
तुम्हें जरूरत कहाँ इन मुर्दों की
तुम अकेले खड़े हो जाओ, अगर
बात हो तुम्हारी सही मुद्दों की
तुम अकेले खड़े हो जाओ
के दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
ढूंढ तेरे कदमों के निशां
चल सका क्यों नहीं संग तेरे,
वो फिर पीछे पछताएगी
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
Friday, October 2, 2020
1.) अंधविश्वास(Superstition)
अंधविश्वास(superstition):-
सुबह सुबह अपने पसंदीदा लोगों के चेहरे देखने से दिन अच्छा जाता है और कुछ अच्छा होता है अगर किसी अनचाहे व्यक्ति का चेहरा देख लिया तो हमारा दिन खराब जाता है हमारे साथ कुछ बुरा होता है बगैरा बगैरा ।
वास्तविक परिणाम:-
ऐसा सोचने वाला वास्तव में मूर्ख है इसमें तो कोई संदेह नहीं है मगर उसकी मूर्खता देखो कि वो इस आश में दिनभर खोया रह सकता है कि आज उसके साथ कुछ अच्छा होगा । अगर उसने गलती से किसी अनचाहे व्यक्ति का चेहरा देख लिया तो वो अपना चेहरा ऐसे बिगाड़ लेगा जैसे की उसके जीवन में छन भर के लिए सबसे बड़ा शोक आ गया हो और उसके साथ उस पूरे दिन में कुछ गलत हो गया तो वो उसी व्यक्ति के ऊपर दोष मढ देता है जिसका उसने सुबह चेहरा देखा था ऐसे मूर्ख व्यक्ति अपने यहाँ आये किसी अतिथि का चेहरा भी सुबह देखना पसंद नहीं करता है और अगर गलती से दिख भी जाये तो अपने सोच के अनुरूप असमंजस की स्थिति को उत्पन्न करता है अंधविश्वास कितनी बुरी चीज है आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि जिसे वो "अतिथि देवो भवः" कहकर भगवान बना देता है उसे वो अपने मूर्खतावश शैतान भी बना सकता है।
प्रचलित कहानियाँ:-
इस अंधविश्वास पर एक बहुत ही सुन्दर कहानी प्रचलित है कि अकबर के राज्य के एक गाँव में एक व्यक्ति रहता था जो बहुत ही मनहूस था, जो भी सुबह सबेरे उसका चेहरा देखता था उसका पूरा दिन खराब जाता था और उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती थी इसलिए उस गांव के लोग उसको सुबह सबेरे देखना पसंद नहीं करते थे ये बात राजा अकबर के पास पहुंची मगर उन्हें इन सब बातों पर नाम मात्र भी विश्वास नहीं था तो उन्होंने सोचा की क्यों ना राज्य के लोगों का संशय दूर किया जाए तो उन्होंने उस व्यक्ति को अपने राज महल बुलाने का आदेश दिया यह जांच करने के लिए कि क्या वाकई में ऐसा कुछ होता है वो व्यक्ति राजमहल में लाया गया उसे आदेश दिया गया कि सुबह होते ही उसे राजा के आंख खुलने से पहले उनके कमरे में प्रवेश करना है ताकि राजा सुबह सबेरे उठते ही उसका चेहरा सबसे पहले देख सकें सुबह हुई राजा ने उसका चेहरा देखा और अपने काम में लग गए राजदरबार जाते हुए राजा सीढियों से गिर पड़े उनके पैर में गम्भीर चोट आयीं और राजा का दो दांत भी सीढियों से टकराने के बाद टूट गया राजा बहुत नाराज हुए और क्रोध में आकर उस मनहूस व्यक्ति को तत्काल फांसी की सजा सुना दी और फांसी के लिए शाम का समय तय किया गया, उस व्यक्ति को कैदखाने में बंद कर दिया गया बीरबल अकबर के दरबार के एक विद्वान और चतुर मंत्री थे जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो उस व्यक्ति से मिलने कैदखाने में जा पहुंचे वो निर्दोष और मासूम व्यक्ति फफक फफक कर रोने लगा वो मंत्री बीरबल से अपने जान की भीख मांगने लगा और कहने लगा इसमें मेरा क्या दोष है ? राजा बीरबल !, मैं निर्दोष हूँ । मुझे बचाइये, बीरबल ने उसे आश्वासन दिया कि वो उसके लिए कुछ करेंगे ।
शाम ढल गई उस व्यक्ति को फांसी के तख्ते तक लाया गया वहीं पास में राजा, प्रजा और मंत्रीगण उपस्थित थे । बीरबल ने अपनी बात राजा अकबर के समक्ष भरी प्रजा में रखी उन्होंने कहा कि महाराज ! अगर इस व्यक्ति का चेहरा सुबह देख लेने से आपका पूरा दिन खराब हो गया है और आपके साथ कोई अनहोनी हुई है तो वाकई यह व्यक्ति मनहूस है मगर उससे भी बड़े मनहूस आप हैं जिसका चेहरा सुबह देखने के बाद इस व्यक्ति को पूरे दिन कैदखाने में बिताना पङा और कुछ देर में उसे फांसी भी मिलने वाली है, राजा अकबर को अपनी गलती का अहसास हुआ और प्रजा को भी यह बात सुनकर अपनी मूर्खता पर बहुत शर्म महसूस हुआ । उस व्यक्ति की सजा माफ कर दी गई और उसे इज्जत के साथ राजदरबार से उसके गांव भेज दिया गया ।
Monday, September 21, 2020
भक्तों के भगवान हुए वो नेता जी !
जब से जीता चुनाव उन्होंने बलवान हुए वो नेता जी,
छप्पन इंच का सीना हुआ पहलवान हुए वो नेता जीडूबाने वाले जलयान के कप्तान हुए वो नेता जी
Thursday, July 2, 2020
जैसा देश वैसा भेष,आखिर क्यों ?
अपनी सामाजिक अवस्था के अनुरुप एवं हृदय तथा मन को उन्नत बनाने वाला काम करना ही हमारा कर्तव्य है परंतु विशेष रुप से ध्यान रखना चाहिए कि सभी देश और समाज में एक ही प्रकार के आदर और कर्तव्य प्रचलित नहीं हैं। इस विषय में हमारी अज्ञानता ही एक जाति की दूसरे दूसरी के प्रति घृणा का मुख्य कारण है। एक अमेरिका निवासी समझता है कि उसके देश की प्रथा ही सर्वोउत्कृष्ट है जो कोई उसकी प्रथा के अनुसार बर्ताव नहीं करता, वह दुष्ट है। इस प्रकार एक हिंदू सोचता है कि उसी के रस्म रिवाज संसार भर में ठीक और सर्वोत्तम है और जो उनका का पालन नहीं करता, वह महा दुष्ट है । हम सहज ही इस भ्रम में पड़ जाते हैं ऐसा होना बहुत ही स्वाभाविक भी है। परंतु यह बहुत ही अहितकर है, संसार में परस्पर के प्रति सहानुभूति के अभाव एवं पारस्परिक घृणा का यह प्रधान कारण है ।
मुझे स्मरण है जब मैं इस देश में आया और जब मैं शिकागो प्रदर्शनी में से जा रहा था, तो किसी आदमी ने पीछे से मेरा साफा खींच लिया मैंने पीछे घूम कर देखा तो अच्छे कपड़े पहने हुए एक सज्जन दिखाई पड़े । मैंने उनसे बातचीत की और जब उन्हें यह मालूम हुआ कि मैं अंग्रेजी भी जानता हूं, तो वे बहुत शर्मिंदा हुए ।
इसी प्रकार उसी सम्मेलन में एक दूसरे अवसर पर एक मनुष्य ने मुझे धक्का दे दिया, पीछे घूम कर जब मैंने उससे कारण पूछा, तो वह भी बहुत लज्जित हुआ और हकला- हकलाकर मुझसे माफी मांगते हुए कहने लगा- "आप ऐसी पोशाक क्यों पहनते हैं?" इन लोगों को की सहानुभूति बस अपनी ही भाषा और वेशभूषा तक सीमित थी ।
शक्तिशाली जातियां कमजोर जातियों पर जो अत्याचार करती हैं, उसका अधिकांश अत्याचार इसी दुर्भावना के कारण होता है । मानव मात्र के प्रति मानव का जो बंधु-भाव रहता है, उसको यह सोख लेता है । संभव है, वह मनुष्य जिसने मेरी पोशाक के बारे में पूछा था तथा जो मेरे साथ मेरी पोशाक के कारण ही दुर्व्यवहार करना चाहता था, एक भला आदमी रहा हो एक संतान वत्सल पिता और एक सभ्य नागरिक रहा हो; परंतु उसकी स्वाभाविक सहृदयता का अंत उसी समय हो गया, जब उसने मुझ जैसे एक व्यक्ति को दूसरे वेश में देखा ।
Wednesday, June 10, 2020
जिन पैरों में जख्म दियें हैं तुमने !
Wednesday, June 3, 2020
सच्ची खुशी ही जीवन का उद्देश्य है।
कट्टरपन धर्म नहीं, न ही अंधभक्ति श्रद्धा है
Wednesday, May 27, 2020
मूक नायक-2.0
"भारत ने विश्व को युद्ध नहीं बुद्ध दिया है"
27 सितंबर 2019 को मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74 वें सत्र में यह वक्तव्य दिया था और लोगों का ध्यान आतंकवाद फैलाने वाले कुछ शरारती तत्वों की तरफ आकर्षित किया था, तब बुद्ध मानो सदियों से चले आ रहे भारत के एक बड़े विरासत के , एक धरोहर के तौर पर अचानक उभर आए देश प्रेमी लोगों ने तो गर्व से अपना सीना चौड़ा किया ही होगा लेकिन न चाहते हुए भी उन्होंने भी सांस खींचकर दंभ भर दिया होगा जो हर वक्त अपने अधिकारों में डूबे रहते हैं। जो किसी को अपने आगे देखना नहीं चाहते हैं जिनकी अवधारणा में बुद्ध धर्म कोई भी धर्म नहीं है, जो अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए बुद्ध को अपने 33 करोड़ देवी देवताओं में स्थान देने का झूठा दावा पेश करता रहता है ।
उन्होंने ही 27 मई और 22 मई को उत्तर प्रदेश,बसंतपुर के सांकिसा में बौद्ध विहारों को क्षति पहुंचाया उसके दिवारों को तोड़ दिया और वहाँ रह रहे बौद्ध भन्तो को बंदूक की नाल पर प्रताड़ित किया और जान से मारने की धमकी दी इसलिए क्योंकि आज राम मंदिर बनाने के लिए जो चोरी छुपे खुदाई हो रही है। उसके खिलाफ कुछ भन्तो ने आवाज उठाई थी वहाँ मिल रहे अवशेष और बौद्ध स्तूप अयोध्या को बौद्धों की प्राचीन नगरी साकेत बता रही है जिसे राजा बृहद्रथ का और करोड़ों बौद्धों का सर काट कर निच ब्राह्मण पुष्यमित्र शुंग ने अयोध्या बना दिया था।
राम एक काल्पनिक कहानी का पात्र है और कुछ नहीं यह केवल मैं नहीं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी मानते थे।
कुछ ब्राह्मण अपना हित साधने के लिए एक काल्पनिक पात्र को जो कभी था ही नहीं उसको भी उसका होना बता रहे हैं।
कुछ लोगों का मानना है और इतिहास के सबूत बताते हैं कि राम कोई और नहीं साकेत का राजा जो अब अयोध्या के नाम से जाना जाता है पुष्यमित्र शुंग ही है। और ब्राहमणों की मंशा राम के नाम पर अपने प्रिय राजा जो करोड़ों बौद्धों का खूनी है पुष्यमित्र शुंग को लोगों से पूजवाना चाहता है, वह चाहता है कि वह राम राज्य लाकर लोगों से फिर छूआ छूत और जात पात के नाम पर उच्च हो सकता है वह जानता है कि वह एक बौद्ध ही हैं जो उसके ढोंग का पर्दा फास कर सकता है, वह बौद्ध ही हैं जो इस समाज में समता , मैत्री और करूणा का संचार कर सकते हैं मगर अपनी रोटी सेंकने के लिए ब्राह्मण लोगों के बीच भेद भाव बनाये रखना चाहते हैं। वे ये नहीं जानते कि वो जिन बौद्धों पर अल्पज्संख्यक समझकर अत्याचार करने की कोशिश कर रहे हैं आज इसमें sc / st / obc जो भारत की 85% आवादी है, वो भी बौद्धों के संरक्षण में हैं और ज्यादातर खुद को बौद्ध के तौर पर देखते हैं और उन बौद्धों के साथ खड़ा है जिन पर सवर्ण और मनुवादी जाहिल समाज अत्याचार करने और उसे उखाड़ फेंकने की कोशिश में है ।
नज़्म:- मेरी अभिलाषा
ये जो डर सा लगा रहता है खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं वो कौन है ? जो मैं हूं ! मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर मैं रह...
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आपकी विधियाँ ख मौन हूँ मैं तुम्हारी बातों को सुनकर कुछ कर रहा हूँ, जो कहा है ना तुमने उन विचारों से लड़ रहा हूँ ...
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माँ तुम अकेले इतना सब कैसे कर लेती हो हमारे लिए खाना बनाना पिता जी के कपड़े धुलना बिना किसी के मदद के अकेले पूरे घर का ख्याल कैसे रख लेत...











