Saturday, April 25, 2020

Importance of day for a good dream( दिन का महत्व एक अच्छे स्वप्न के लिए)

                                   प्रस्तावना



दिन में घटित हर चीज हमारे मस्तिष्क में वर्षों तक रहती है या यूं कहें कि प्राथमिकता- कुछ घटना तो पूरी जिंदगी हमें याद रहती है लेकिन जब हम रातों को सोते हैं तब भी हमारे मस्तिष्क में कुछ चलता रहता है हम देखते हैं कि हम हैं कि जब भी किसी काम को करते रहते हैं भले ही उसका परिणाम हमारे लिए महत्व नहीं रखता हो जब हम रातों में स्वपन देखते हैं तो वह कुछ और नहीं हमारे दिन भर के सोचे और किए गए कार्यों कापुनः
चक्रण होता है लेकिन मेरा इतना ही कहना शायद गलत होगा क्योंकि मनुष्य के मस्तिष्क की मस्तिष्क जीवन के बढने के साथ बढती चली जाती है जिसके कारण उसके स्वपन पर न केवल उसके एक दिन का प्रभाव होता है अपितु उसके अतित का प्रभाव भी होता है लेकिन स्वपन जीवन मैं घटित होने वाली घटनाओं में विशेष है। है कि स्वपन में हम किसी किरदार को अपने अनुरूप संशोधित कर पाते हैं लेकिन जीवन में उस परिवर्तन को कठिनाई से ही मसूस कर पाते हैं या नहीं भी इससे भी अधिक विभिनता हमारे मूल जीवन में होने वाली घटनाओं और और स्वप्न में होने वाली घटनाओं में यह है कि मूल जीवन में होने वाली घटनाओं हमारे अतीत बनकर पीछा करती हैं जबकि रात की घटनाएं दिन के नतीजों के साथ होती हैं। होते हैं। विवाई हो जाती है अच्छा वर्तमान अतीत को तो नहीं बदल सकता है लेकिन अतीत को धीरे-धीरे मीठा करते हुए चल सकता है और भविष्य को फल प्रद कर सकता है इसी प्रकार हमा रा वर्तमान में जहां हम जीत रहे हैं उसे दिन कहने वाले बहुत रातें हैं प् स्वप्न को सुंदरबनाने में हमारी मदद करते हैं इस चीज़ को हम इससे समझ सकते हैं कि लोभियों को रातों में भी चैन नहीं मिलता है तो उसे अपने स्वप्न में से कुछ सीखना चाहिए कि वह किस प्रकार जब वह सोता है तब भी धन को पाने की इच्छा में स्वप्न में। । भी भटकता रहता है अपार धन को पाने के बाद जब वह बैठता है तो उसकी आंखें नींद से खुल जाती है और वह देखता है कि जिस धन के लिए वह स्वप्न में भी बेचैन था उसके हाथ कुछ नहीं डाला है तो फिर एल लच का क्या फायदा? ? उसी प्रकार अन्य लोगों के साथ भी ऐसा ही होता है दूसरों का अहित करने वाले को सपने में भी चैन नहीं मिलता है लेकिन इस बात को वह अपने मूल जीवन में कभी नहीं स्वीकार करता है और अपने कर्मों को सुधारने के बजाय वह उस सजा को जो उसे स्वप्न में मिलती है उसे गंभीरता से न लेते हुए स्वप्न कह कर टालता रहता है एक लेखक के तौर पर उसका स्वपन भी उसके लेखन और उसके चिंतन का विषय हो सकता है इसी को सिद्ध करने के लिए मा।अपने जीवन और स्वपन के अच्छे बुरे पहलुओं को बनाए रखें


                                       भूमिका

सड़क बनने के कारण मेरा गाँव एक बाजार के रूप में तब्ल्दी  हो गया है ऐसा नहीं है कि यहां पहले बाजार नहीं था यहां के प्राचीन दुकानों और घरों के दिवारों पर संस्कृत से उकेरे उपदेशों को रखा गया है। को देखकर आपको एहसास होगा की ये प्राचीन बाजार बहुत बार कभी विकसित हुआ था हाँ ये कह सकते हैं कि सड़क बनने के कारण लोग शहर के चार्ट को ही भविष्यवाणी देने लगे हैं क्या इस बाज़ार का रौनक थोड़ा कम हुआ है और इसका एक कारण यहाँ पर हैक्रमन है अतिक्रमण से आमतौर पर यही समझा जाता है कि ट्रले और फुटपाथ पर बेचने वालों के कारण होता है लेकिन नहीं नहीं किसी गरीब के ठेले लगाने से ज्यादा और बड़ा अतीरामन तो वह होता है जो किसी के धनी के घर का द्वार - अतिरिक्त जमीन पर बड़ा सा तख्ता और छत के आगे का हिस्सा हवा में लहराकर बनाया जाता है और यही हाल मेरे गाँव के बाजार का भी है सभी ने अपना तख्ता आगे की ओर बढा दिया है इससे बाजार सिकुड़ सा गया है।
वर्तमान में मैं बनारस में अपने भैया के साथ रहता हूं जिनके चार बच्चे हैं और अब उनकी जनसंख्या के आधार पर लगता है कि भाभी के घर से मेरा पता कटने वाला है मैं बीए प्रथम वर्ष का छात्र हूं और यहां कुछ दिनों का मेहमान हूं, इसी तरह तरह तो मैं बनारस शहर से बहुत प्यार करता हूँ यहाँ मुझे गंगा तट के अस्सी घाट पर 'हूँ-ऐ-बनारस' के शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम पर जाना बहुत अच्छा लगता है और शाम को शहर में घना है।जश्न अच्छा लगता है सपने तो मेरे बहुत बड़े बड़े हैं लेकिन उनके पूरे ना होने का डर भी बहुत बड़ा है एक कवि हूं लिखता हूं लेकिन अपनी चंचलता से डर लगता है कि कहीं अपने व्यक्तित्व और विचारों को खो ना दूं इससे अधिक परिचय मेरे जैसे छोटे लेखक और छोटे कवि का देते छोटे मुँह बड़ी बात हो जाएगी इसलिए कलम को विराम देते हुए उसने कहूँग कि इतना परिचय इसलिए जरूरी था ताकि आप मुझे पढ़ रहे हों तो खुद को मुझसे और मेर। कहानी से जोड़ देंगे।


 नित्य कर्मों को करने के बाद मैं रोज की तरह सुबह छत पर किताब और पेंसिल लेेकर पढ़ने के लिए चल पड़ता हूँ चुकि शहर में और पूरे देश में अभी तक लाॅकडन की स्थिति चल रही है इसलिए अभी तो सुबह उठकर सीधे छत का ही रास्ता देखता है, लेकिन जब लाॅकडन नहीं था तो संशय रहता था कि छत पर चलूं या फिर अस्सी घाट क्योंकि पढना भी जरूरी है मेरे लिए और संगीत से खुद को जोड़े रखना भी इसलिए पहले मैं संगीत सुनने घाट चला जाता था इससे मेरे दो काम हो जाते हैं पहला तो ये कि जब मैं साईकिल चलाकर घाट जाता हूँ तो सुबह का व्यायाम हो जाता है दूसरा संगीत सुन लेता हूँ तो मन को शांति मिलती है और साथ ही साथ सुनकर कुछ गा लेता हूँ तो गले का रियाज भी बना रहता है, घाट से लौटते हुए मुझे सात बज जाते हैं उसके बाद एक से डेढ़ घंटा पढ लेता हूँ। 
एक ही समय में जब आप दो कार्य को एक साथ लेकर चलते हैं तो असमंजस की स्थिति बन जाती है, लेकिन हमें इससे घबराना नहीं चाहिए अगर दोनों काम जरूरी हैं तो हम समय का बंटवारा दोनों कामों के बीच कर सकते हैं - ध्यान रहे? समय का बंटवारा करें न कि अपने ध्यान का, जब आप एक समय जिस काम को कर रहे हों तो आपको अपना ध्यान उसी काम पर लगाये रखना है उस समय दूूूसरे काम के बारे में नहीं सोचना है, नहीं तो भी काम बिगड़ सकता है जिसे आप उस समय कर रहे हैं। खैर आज की बात करें तो आज 

Tuesday, April 21, 2020





समभत: एक लेखक का सपना समाज को अपने नजरिये के अनुसार जितना अच्छा हो सके समाज को बदलने का होता है।  
एक लेखक जहाँ कहीं भी समाज में होती बुराईयों को देखता है वह उसकी कड़ी निन्दा करता है। एक लेखक सही मायने में समाज का भविष्य निर्माता होता है, पुनर्जागरण काल से ही लेखकों ने समाज और विश्व को सही पथ दिखाने के लिए नित नये प्रयोग जारी रखें हैं जिस समय छापेखानों का प्रयोग प्रारम्भ हुआ लेखकों को अपनी बात रखने में आसानी हुई। आदि काल से ही समाज को शिक्षित करने के लिए हमारे पूर्वजों ने  गुरूकुलों का निर्माण किया होगा जब कागज और लिखने वाले अन्य कोई साधन नहीं होते होंगे तब उन्होंने अपनी बात को हम तक पहुँचाने के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करना प्रारम्भ किया होगा जो एक पीढी से दूसरी पिढी को शिक्षित करने का कार्य करती थी तभी आज हमारे पास वर्षों पुराने वेद पुराण जैसे ग्रंथ मौजूद हैं।  एक लेखक की वाणी हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण हो सकता है ये साधारण लोग नहीं समझ सकते हैं मगर एक शिक्षित वर्ग इसको भली भांति समझता है और उसे जब भी किसी को पढने का मौका मिलता है वह उसे पढता है और पढकर अपने विचारों और कल्पनाओं को विस्तार देता है, वो लेखक के विचारों से बहस करता है, एक शिक्षित वर्ग एक लेखक को पढकर अपने नजरिये को लेखक द्वारा कहे गये वक्तव्य के समक्ष प्रदर्शित करता है।  पढने की आदत एक पाठक को हाजिर जवाबी बनाता है बोलने के लिए शब्द मुहैया करवाता है एक पाठक अच्छे लेखकों को पढकर एक प्रखर वक्ता हो सकता है खुद अच्छा लेखक हो सकता है वह लेखक के उद्देश्यों को पूरा करने वाला उसका एक कड़ी हो सकता है जो लेखक द्वारा कहे गए अच्छे वक्तव्यों को समाज में लोगों तक पहुँचाने का कार्य कर सकता है। एक पाठक होना हमारे लिए हर तरह से फायदेमंद है क्योंकि जीवन का सबसे अच्छा पहलू पढना लिखना है इसमें हमारा यह सोचना कि पढते हुए हम समय नष्ट कर रहे हैं मूर्खता है बशर्ते कि हम अच्छी पुस्तक को पढ रहे हों । एक अच्छा लेखक एक अच्छा पाठक होता है उसका एक ये भी सपना होता है कि वो लोगों को पढकर अपने तथ्यों को आत्मविश्वास के साथ पूरी सच्चाई को जानकर लोगों के समक्ष रखें ताकि किसी भी प्रकार की भरान्ति उत्पन्न न हो । एक लेखक अत्यन्त निष्ठावान और सच्चा  होता है ।




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                                    -शुभम् कुमार (कवि और लेखक )

धरती के भगवान हमारे डाॅक्टर और रक्षक !



मुस्लिमां कभी खुद को हिन्दूओं से श्रेष्ठ बताते हैं
हिन्दू कभी खुद से मुस्लिमों को नीचा दिखाते हैं,
दिखाते हैं वो खुदा के कितने नेक वन्दे, भक्त हैं
मगर अपनी जाहिलियत से खुद खुदा को
सामने सबके किस खुदा के वन्दे हैं नीचा दिखाते हैं

एक अंधभक्त की भीड़ है जो दीप जलाने
के उपलक्ष में गोलियाँ चला दीपावली मनाता है,
एक धर्मांधों की भीड़ है जो जमातियों को
कर इक्कठा मरकज सजाता है
देश भक्ति की बात छोड़ो शुभम् ये उस खुदा
और ईश्वर के वन्दे हैं जो इंसानियत को भुल जातें हैं

डर रहा हर इंसान यहाँ वो हाथ मदद को
बढाने से खुद को रोकता है,
देगा वही जख्म जिसके जख्मों को
पोछने जा रहा ये दिल अब उसका टोकता है

कहीं हमारे आरक्षकों पर कोई पत्थर वर्षाता है
उठते हैं मदद को हाथ तो जाहिलें हमारे धरती
के भगवन से बदसलूकी पर उतर आते हैं,
पूछो इनसे मर रहे वेमौत जो उन्हें क्या
इनके ईश्वर और खुदा बचाने आते हैं ?

भूल गये हैं कुछ लोग अंधभक्ति में
यही हैं वो धरती के खुदा जो रोज खुद के जान पर खेल कोरोना जैसे एक अदृश्य दुश्मन से हमारी जान बचाते हैं ।
       
                               -शुभम् कुमार (कवि और लेखक) 

नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...