तेरा देश अब भी गुलाम है।
About its creation:-
यकीन नहीं होता है कि यह वही भारत है जिसे बापू ने अत्यंत कठिनाइयों और दुखों को सहते हुए आजाद करवाया था जब अंग्रेजों ने 1893 ईस्वी में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर जा रहे बापू को प्रथम श्रेणी का टिकट होने के बावजूद ट्रेन से उतार दिया था क्योंकि वह रंग में सांवले थे तभी बापू ने रंगभेद मिटाने के संकल्प के साथ दक्षिण अफ्रीका में कदम रखा जब अफ्रीकीयों को आजादी मिली तो वहाँ के लोगों ने नेल्सन मंडेला को राष्ट्रपति और राष्ट्र पिता के रूप में चुना जो कि रंग में काले थे आज पूरे विश्व में उन्हें रंग भेद के खिलाफ लङाई जीतने वाले प्रतीक के रूप में हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय अश्वेत दिवस मनाया जाता है। इस रंग भेद की लङाई में हमारे बापू के योगदान को भी स्पष्ट दुनियाँ ने देखा और सुना इसी के साथ यह सिद्ध हो गया था कि दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद खत्म हो गया । तब अंग्रेजों को समझ में आया होगा कि एक अश्वेत व्यक्ति भी अपने दिलों में अपने लिए वही अधिकार व सम्मान रखता है जितना कि कोई गोरा और उसे उतना ही चोट लगने पर कष्ट होता है जितना कि किसी गोरा को वह भी अपने अपमान का बदला उसी प्रकार ले सकता है जिस प्रकार एक गोरा । मगर हमारे देश के गोरों को आज भी यह बात समझ में नहीं आई है तभी तो वह आज भी किसी गांधी के गरिमा को ठेस पहुंचाने से थोड़ा सा भी शर्म महसूस नहीं करता है बेवजह किसी के पहनावे पर तो किसी के चमड़ी के रंग पर सवाल उठाकर टिकट होने के बावजूद भी बड़ी बेशर्मी से ट्रेन से उतार देता है आखिर इन बेशर्म और मूर्खों को कब समझ में आएगा कि इस धरती पर आया हर इंसान एक सा सम्मान का हकदार है यह कविता बाराबंकी के राम अवध दास जी को समर्पित है वह हमारे आज के गांधी हैं कभी-कभी आप अपनी आंखें इस संसार में खुले रखेंगे और जानेंगे कि आपके आसपास क्या हो रही है और आप अपने विचारों
से क्या लोगों को समझाना चाहेंगे तो आप एक कविता लिख पाएंगे।
Thought:-
किसी ने कहा है कि अगर आपको कवि बनना है तो आप फकङ बनिये फकङ से मतलब अपने आसपास की चीजों को जानने से है लोगों को जानने से है ।

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