Friday, May 31, 2024

कुछ शायरी

 तुम मुझसे प्यार से कह दो 

कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती 

क़सम है प्यार का मुझे 

मैं उसी पल तुम्हें भूल बैठूंगा 

मगर ना तुम इकरार करती हो,

ना ही इंकार करती हो

मुझे संशय बना रहता है कि 

तुम मुझसे प्यार करती हो ।।




इसी मदहोशी में मैंने एक उम्र गुजार दिया

कि मैंने ही नहीं उसने भी मुझे प्यार किया

इसी बात पर मैंने एक दिन उससे इजहार किया

पता चला मुझे, उसने नहीं कभी, मैंने ही उससे प्यार किया 



मुझे यकीन था ख़ुद पर 

कि मैं अपनी खामोशियों से भी 

इश्क बयां कर दूंगा उसे

मगर कसूर उसका 

उसे ख़ामोशियों की जूबां

नहीं आती थी ।।




"खुद की अहमियत जानने के लिए

 खुद से मिला करो तुम कभी,

 दूसरों में बहुत व्यस्त रहते हो 

 दो बात खुद से भी किया करो तुम कभी "


 

                   

जिसने मुहब्बत से मुहब्बत का मुझे दिलासा दिया

मैं उसके मुहब्बत में पड़ गया 

चाहे उसने मुझे मुहब्बत का झांसा दिया, 

मैं कितना मुहब्बत का भूखा हूं यारों !

वो एक बार पलकें उठा कर, गिरा कर गई 

मैं उसके इश्क में लूट बेतहाशा गया 




किसी से इश्क निभाने के लिए

किसी को भूल जाता हूं

मुझे आता नहीं है

किसी के साथ अधूरा रहना,

मैं जब भी इश्क करता हूं

तो पूरे दिल से करता हूं 

मैं दिल में रखता नहीं हूं

एक चेहरे के शीवा कोई दूसरा चेहरा



रहना सिखा हैं मैंने खुश 

चाहत से किनारा करके,

दूर रहना ही मुनासिब एक लड़की से

लड़की जब तक बुलाये ना इशारा करके ।।



दुःख एक औरत के होने से है,

दुःख एक औरत से महरूम होने का है 

एक औरत का होना ना होना कितना अजीब है

हर सुख और दुःख के पीछे हाथ एक औरत का है ।।


हाय ! तुमने मुझे ऐसे देखा, मुझमें ऐसा क्या देखा ?

हार गई तुम मुझपर दिल‌, क्या तुमने मेरा दिल देखा ?




उसे गुरूर है अपनी खूबसूरती पर

तो इसमें क्या खता है उसकी 

वो है खुबसूरत तो उसमें है गुरूर

मुझे इश्क है उसी से

तो इसमें क्या खता है मेरी 

मुझे इश्क है उससे तो है इश्क




तुम मुझे ना चाहे और मैं तेरे साथ हूं

ये मेरे लिए कितनी घूटन की बात है 

तु भले अपना माने ना माने मुझे 

मुझमें खामी क्या है मेरी खामी बता

तू हसीन है तो खुबसूरत मैं भी कम नहीं 

खुद को मैं अपना खुदा मानता हूं

और ये मेरे ज़हन की बात है ।। 



कभी पूछना उससे की मेरी याद आती है?

जिसकी यादें मुझे हर रोज तड़पाती है, ।।



चल तेरे इश्क में पागल हुआ मैं 

इश्क इससे भी ज्यादा क्या बख्शूं तुझे मैं 



तुम्हें चाहने से कौन रोक सकता है मुझे

मगर तुमसे भी ये कहना था मुझे 

रोक सकती नहीं तुम भी मुझे 

मगर कह नहीं सकता मैं तुम्हें, 

ये मेरा तुमसे इकतरफा इश्क जो है

कहकर भी भला प्यार कौन करता है ?

मरने वाला भी भला कहकर मरता है ?


                                 

किसी के जिस्म को पा लेना फ़क़त

जिस्म को ही पा लेना है 

किसी का प्यार पाने के लिए

जिस्म के अंदर कौन है, क्या है समझना पड़ता है 




दर्द से वाकिफ होगी,

अगर इंसान हो तुम

मुझे है दर्दे मुहब्बत, 

मुहब्बत दवा भी मेरी

मुझे तुम मुहब्बत दे दो या 

दे दो मारकर दर्द से रिहाई । 


दर्द जब लाइलाज मर्ज का हो 

तो दवा मुहब्बत और मौत ही है 

मुहब्बत दे नहीं सकती अगर 

तो मौत ही दे दो तुम मुझे

ऐसे दर्द से कराहते हुए को मारना भी

कभी जीवन देने सा पून्य कारक होता है ।



"ये बेइंतहां मुहब्बत कि हद थी मेरी कि

मैं उसके इश्क में पागल भी हो जाता 

अगर मिल जाती वो मुझे मगर 

छोड़ो मियां जो मिल ही नहीं पायेगी 

उसके लिए रोना क्या, गाना क्या 

आंसू बहाना क्या, पागल हो जाना क्या ।"


मुझे ना चाहने वाले मेरी चाहत में ऐसे गिरेंगें 

मर जायेंगें वो उस दिन,जिस दिन हम दगा करेंगें । 


जितना तुझे अपने हुस्न का गुरूर है

उतना ही मुझे अपने सुखन का 

तु मिल भी गई मुझे तो बेशक छोड़ दूंगा मैं तुझे 

और तुम्हें नाज़ है इस बात का कि मैं तुमपे मरता हूं

अरे नादान ये सिद्दत ये मुहब्बत मेरे सुखन के लिए है

मेरे सुखन में तू केवल एक कहानी की किरदार सी है

जिसे लिखना और मिटाना हम सुखन गर का काम है। 


उन रिश्तों में दूरियां बहुत जरूरी हैं 

जिन रिश्तों में लोग कहने को अपना हैं 

पास आने से खुद को सम्भाल लें, जरूरी है 

जिन रिश्तों में लोग कहने को अपना हैं । 


तुम्हारी बेरूखी माना मुझको खुदसे दूर करने के लिए है

मगर मेरा ये मान जाना कि मुझको तुमसे इश्क नहीं है 

महज़ ये तय करना होगा कि मुझे सिर्फ तुम्हारे जिस्म की ख्वाहिश थी 

मैंने तुमसे इश्क किया है और ये सज़ा मुकर्रर हुआ है चाहना है तुम्हें उम्र भर के लिए 




तुम्हें चाहूं और तु मिल जाए

इस तरह तुम्हारी चाहतों से मुक्ती नहीं संभव

मगर तुम्हें चाहता रहूं और तू ना मिले

और मिले भी तब जब चाहत भी खत्म हो

तब तुमसे मुक्ति की कोई बात ही ना हो 




वो शख्स जिसने खुदको खो दिया है 

उसे गम नहीं कि दुनिया खो दिया है

मगर ये ख़्याल कि तुम इसी दुनियां में रहती हो

उसे मलाल होता है कि उसने तुमको खो दिया है । 

 



तुम पास हो तुम्हारे साथ गुजारा कर लेंगे हम

तुम दूर हो जाओगी चाहता से किनारा कर लेंगे हम

ये साथ जीने मरने के वादे काम आयेंगी जब आयेंगी 

मगर इन लम्हों को बर्बाद न कर ज़ालिम 

बिछड़ना होगा तब इशारा कर लेंगे हम 


मुझको ये मिला है कितने दिनों के बाद साथ मेरा

मैं भटकता रहा दूसरों में कुछ यूं था कभी हालात मेरा

अब जो मिला हूं खुद से तो खुद को पा ही लूंगा मैं

दूसरों को कब तलक, अब खुद को अपना बना ही लूंगा मैं 



मुझको मेरे जैसी कोई नहीं मिलती

जो मिलती है वो मुझ सी नहीं मिलती 

कितना दर्द भरा है खुद तक का मयस्सर न होना

मैं आधा अंग हूं और मेरी अर्धांगिनी नहीं

 मिलती।


Ghazal:- जिंदगी अब यूं तन्हा कटेगी नहीं

जिंदगी अब यूं तन्हा कटेगी नहीं

साथ देना पड़ेगा उम्रभर के लिए

अब मिले हो जो तुम मिलकर हो जाओ मैं 

तुम बिन गर, मय भी मिला तो कटेगी नहीं 

जिंदगी अब यूं ... ×2


तुम मेरी मय भी हो, मधुशाला तुम्हीं

तुम्हारे बिन मय मिला भी कटेगी नहीं 

जिंदगी अब यूं ...×2


मैं शराबी हूं वो जो मय ढूंढता है

मगर मय भी नहीं मधुशाला के बिन

जिंदगी अब यूं ...×2


तुम मेरी छांव हो, तुम मेरी धूप हो

जो आंखों को जंचे, तुम वो रूप हो

तुम्हें देख कर, अब से मैं जी रहा हूं

तुम दिखो ना तो मैं मर न जाऊं कहीं

जिंदगी अब यूं ...×2


सुन लो तुमको है ये मेरी चेतावनी

मर गया तुम बिन मैं , होगी खूनी तुम्हीं

ये रिश्ता जो मय का मधुशाला से है

यूं ही रिश्ते में तुम बांध लो उम्रभर के लिए


जिंदगी अब यूं ... × 2


 

कविता:- राम नाम की ये जो तुच्छ राजनीति है, क्षणिक है।

सत्य पर असत्य का ये जो विजय है तनिक है क्षणिक है

पूर्णतः असत्य में ये सत्य का जो घालमेल तनिक है क्षणिक है

कब तलक पाखंडी कोई, अत्याचारी ! धार्मिक कहलायेगा

धर्म का जो शाॅल ओढ़े अत्याचारी शकुणिक है क्षणिक है


राम राम कितने राम ?, मेरे राम, तेरे राम, सबके राम !

राम को जो राम माने, वेशक उनपे राम की कृपा बने 

मगर एक राम उनका जो कायर कोई शुंग है क्षणिक है

शांति प्रिय बृहद्रथ को मारकर जो राम बना शुंग है क्षणिक है 


कौन है जो अनभिज्ञ है मौर्यों के तेज से, त्याग से, तप से, 

कौन है जो अनभिज्ञ है बुद्ध के इतिहास से, साकेत से

मैं बता दूं तुम्हें एक अयोध्या कोई बुद्ध का, साकेत है मगर 

इतिहास में, साकेत में अयोध्या-बाबरी का घालमेल क्षणिक है 


अभी तो विराम देता हूं मैं अपनी वाणी को मगर

ये याद रखा जाये कि सत्य सत्य है और झूठ झूठ है 

राम को भी मानने वाले रहेंगें-रहेंगें जानने वाले बुद्ध को 

मगर राम नाम की ये जो तुच्छ राजनीति है तनिक है क्षणिक है 


                                      







 

Poetry:- I apologise for being silent

 I apologise for being silent

Because I had nothing to say to you,

But how is this possible to be silent

When you love someone and

she becomes thought in you 

I knows I knows just only I knows 

how impossible and difficult it is 


I apologise for being silent

Because I have no skill to communicate

To whom who don't want to listen to you

And just blaming you for not being a good communicator


I apologise for being silent

Because I don't want to say I love her

who never ever give a single hint to 

being in love with you and 

expecting you to say something


I apologise for being silent

Because I'm in love with someone

But still I am waiting to say something

When she give me hint

 to say.















Monday, March 18, 2024

नज़्म :- हमारा मिलना और बिछड़ना ऐसे हुआ

 मैं देखने लगा था तुम्हें खुद की जगह

तुम्हारी कुछ बातों को समझने लगा था

कोशिश तो थी समझ लेने की हर बात मगर

कहां हर बात अपनी भी समझ आती है हमें 

सो छोड़ देता था तुम्हारी उन बातों को 

जो मेरे समझ से परे थे

कुछ नज़र करके कुछ नज़र अंदाज़ करके

खुद की तरह मैं तुम्हें अपनाने लगा था 

मुझे तुमसे प्यार कुछ ऐसे हुआ था

मैं तुम्हें अपना गीत समझकर गाने लगा था 

तुमसे प्यार और जुदाई की दो वजहें वही दो बातें हैं 

जो मेरे नज़र में गई और जो मेरे नज़र से गई 

एक तुमको मैं और दूसरा तुमको तुम बनाती थी

मुझे पसंद आया हमेशा तुम्हारा मैं होना

यही वजह तुमसे प्यार का कारण बनी

रही बात जुदाई की तो सच कहूंगा 

अपनी जिन बातों को मैं पसंद नहीं करता 

उन बातों को नहीं देखना चाहता था मैं तुझमें भी

वो बातें तुम्हारी जो बेतूकी सी लगती थी 

वो बातें जो मेरी बेतूकी सी लगती हैं 

उसे मैं ना कभी अपना सका हूं ना कभी अपना सकूंगा 

फिर तुमको मैं कैसे अपना लेता

बात खुद की होती तो खुद को समझा भी लेता

बात तुम्हारी थी सो समझा ना सका

मैंने देखा है रिश्तों में बातों का ना बनना

रिश्तों का टूटना टूट के जुड़ना जुड़ के

रिश्तों के बंधन में गांठ का पड़ना

ऐसे में नहीं चाहता था मैं कि 

हमारे रिश्ते के बंधन में भी गांठ पड़े

और हमें रहना पड़े साथ गांठों के इस पार उस पार 

दो विचारों के साथ जिसका एक होना मुमकिन ना हो 

तुम भी भला मेरे लिए खुद को कितना बदलती

तुम्हारा मुझमें बदलना मुमकिन ना था

मेरी चाहत तो थी मैं तुमको मैं बना दूं

मगर ना तुम मैं बन सकी ना मैं तुमसा बना 

इसलिए हमारा बिछड़ना जरूरी हुआ। 

Saturday, April 2, 2022

I Am With Single


I am with single 
Because single I am,
Why not with mingle ?
Because Single this world 
Single our moon
Single our sun
Single our earth
Single I will die 
Single our birth 
Then why we be mingle ?
I am with single
Single I am !

It is not bad to be a single 
Who told you bad ?
Is they are mingle  
But how & for what days 
They will be mingle 
Are they not no the truth
this world is single
Then they are fool 

You want to know ?
How and why they are mingle
I am telling you truth
Because they dont get love
From their family
From their passion
From their work 
& from their occupation,

I am too want to be mingle
But with my family 
With my passion 
With my work 
& with my occupation

There are easy to be a mingle
Forget your family
Ruined your passion 
Get ride of your work 
And from your occupation
We a mingle, 
easy to be mingle .

Mingles are cowered
You are brave
Because you are single
Stand with your family
With your passion 
With your work 
& with your occupation
I am with single 
Single I am .

Inside the heart we are same

Poem:- Inside The Heart We Are Same


Inside the heart we are same

Outside which we want to show

Is our happiness and our goodness

Sadness or harsness No one want to show


Inside the heart we are same

Outside which we want to show

Is our beauty and our glow

Ugliness or darkness no one want to show


Inside the heart we are same 

Outside which we want to show

Is our lifelike smile and our simplicity

Tears or barburness no one want to show


Everything we can hide from oneself but

We can never hide nothing from ourselves


Sadness and harsness we can hide 

but happiness and goodness never

This is the goodness of our heart 

Thus we can say we are same at heart


Ugliness and darkness we can hide 

but beauty and glow never

This is the goodness of our heart 

Thus we can say we are same at heart


Tears and barburness we can hide 

But smile and simplicity never

This is the goodness of our heart 

Thus we can say we are same at heart.


Saturday, March 19, 2022

पुष्प की अमरता

 



कितने सजीव , कितने जीवंत हैं ये पुष्प!

इनकी खूबसूरती अमर हैं इनके बीजों में

जब ये चमकें हैं, ये महकें है, तब 

इनकी पीढ़ियां चमकती रहेंगी सदा 

जो पतझड़, धूल और धूप सहे 

वही जीवित और जीवंत रहेंगे यहां


वे क्या जीवित रहेंगे जो संघर्षों से हार गए

वे क्या जीवंत रहेंगे जो ना दुखों के अपने पार गए

दुखों के अपने पार सजीवता

संघर्षों में ही जीवन है

लड़ते रहें हम हर कठिनाई से

हर दुखों का हम समन करें

बार बार हम पल्लवीत हों

पुष्पों की भांति महकें और जियें मरें ।


                                      






Monday, December 14, 2020

कविता:- तुम अकेले खड़े हो जाओ

तुम अकेले खड़े हो जाओ 

कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी 

पहले तुम तो कदम बढाओ 

तुम अकेले खड़े हो जाओ

खड़े हो जाओ बीच चौराहे पर
दम भर कर आवाज उठाओ
जुर्म और अन्याय के खिलाफ
तुम अकेले खड़े हो जाओ

कब तक डरोगे तुम
जिंदे मुर्दों की तरह
जिनमें मरकर भी खुद जाने
की साहस नहीं शमशानों तक,
सङे गलेंगे खुद ही कहीं
कोई ले जाएगा भी नहीं
उन्हें जलाने मसानों तक

खड़े हो जाओ तुम जिंदा हो अगर
तुम्हें जरूरत कहाँ इन मुर्दों की
तुम अकेले खड़े हो जाओ, अगर
बात हो तुम्हारी सही मुद्दों की

तुम अकेले खड़े हो जाओ
के दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
ढूंढ तेरे कदमों के निशां
चल सका क्यों नहीं संग तेरे,
वो फिर पीछे पछताएगी
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी      

Friday, October 2, 2020

1.) अंधविश्वास(Superstition)

अंधविश्वास(superstition):-
सुबह सुबह अपने पसंदीदा लोगों के चेहरे देखने से दिन अच्छा जाता है और कुछ अच्छा होता है अगर किसी अनचाहे व्यक्ति का चेहरा देख लिया तो हमारा दिन खराब जाता है हमारे साथ कुछ बुरा होता है बगैरा बगैरा ।


वास्तविक परिणाम:- 

ऐसा सोचने वाला वास्तव में मूर्ख है इसमें तो कोई संदेह नहीं है मगर उसकी मूर्खता देखो कि वो इस आश में दिनभर खोया रह सकता है कि आज उसके साथ कुछ अच्छा होगा । अगर उसने गलती से किसी अनचाहे व्यक्ति का चेहरा देख लिया तो वो अपना चेहरा ऐसे बिगाड़ लेगा जैसे की उसके जीवन में छन भर के लिए सबसे बड़ा शोक आ गया हो और उसके साथ उस पूरे दिन में कुछ गलत हो गया तो वो उसी व्यक्ति के ऊपर दोष मढ देता है जिसका उसने सुबह चेहरा देखा था ऐसे मूर्ख व्यक्ति अपने यहाँ आये किसी अतिथि का चेहरा भी सुबह देखना पसंद नहीं करता है और अगर गलती से दिख भी जाये तो अपने सोच के अनुरूप असमंजस की स्थिति को उत्पन्न करता है अंधविश्वास कितनी बुरी चीज है आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि जिसे वो "अतिथि देवो भवः" कहकर भगवान बना देता है उसे वो अपने मूर्खतावश शैतान भी बना सकता है।

प्रचलित कहानियाँ:- 

इस अंधविश्वास पर एक बहुत ही सुन्दर कहानी प्रचलित है कि अकबर के राज्य के एक गाँव में एक व्यक्ति रहता था जो बहुत ही मनहूस था, जो भी सुबह सबेरे उसका चेहरा देखता था उसका पूरा दिन खराब जाता था और उसके साथ कोई न कोई अनहोनी हो जाती थी इसलिए उस गांव के लोग उसको सुबह सबेरे देखना पसंद नहीं करते थे ये बात राजा अकबर के पास पहुंची मगर उन्हें इन सब बातों पर नाम मात्र भी विश्वास नहीं था तो उन्होंने सोचा की क्यों ना राज्य के लोगों का संशय दूर  किया जाए तो उन्होंने उस व्यक्ति को अपने राज महल बुलाने का आदेश दिया यह जांच करने के लिए कि क्या वाकई में ऐसा कुछ होता है वो व्यक्ति राजमहल में लाया गया उसे आदेश दिया गया कि सुबह होते ही उसे राजा के आंख खुलने से पहले उनके कमरे में प्रवेश करना है ताकि राजा सुबह सबेरे उठते ही उसका चेहरा सबसे पहले देख सकें सुबह हुई राजा ने उसका चेहरा देखा और अपने काम में लग गए राजदरबार जाते हुए राजा सीढियों से गिर पड़े उनके पैर में गम्भीर चोट आयीं और राजा का दो दांत भी सीढियों से टकराने के बाद टूट गया राजा बहुत नाराज हुए और क्रोध में आकर उस मनहूस व्यक्ति को तत्काल फांसी की सजा सुना दी और फांसी के लिए शाम का समय तय किया गया, उस व्यक्ति को कैदखाने में बंद कर दिया गया बीरबल अकबर के दरबार के एक विद्वान और चतुर मंत्री थे जब उन्हें इस बात का पता चला तो वो उस व्यक्ति से मिलने कैदखाने में जा पहुंचे वो निर्दोष और मासूम व्यक्ति फफक फफक कर रोने लगा वो मंत्री बीरबल से अपने जान की भीख मांगने लगा और कहने लगा इसमें मेरा क्या दोष है ? राजा बीरबल !, मैं निर्दोष हूँ । मुझे बचाइये, बीरबल ने उसे आश्वासन दिया कि वो उसके लिए कुछ करेंगे ।
शाम ढल गई उस व्यक्ति को फांसी के तख्ते तक लाया गया वहीं पास में राजा, प्रजा और मंत्रीगण उपस्थित थे । बीरबल ने अपनी बात राजा अकबर के समक्ष भरी प्रजा में रखी उन्होंने कहा कि महाराज ! अगर इस व्यक्ति का चेहरा सुबह देख लेने से आपका पूरा दिन खराब हो गया है और आपके साथ कोई अनहोनी हुई है तो वाकई यह व्यक्ति मनहूस है मगर उससे भी बड़े मनहूस आप हैं जिसका चेहरा सुबह देखने के बाद इस व्यक्ति को पूरे दिन कैदखाने में बिताना पङा और कुछ देर में उसे फांसी भी मिलने वाली है, राजा अकबर को अपनी गलती का अहसास हुआ और प्रजा को भी यह बात सुनकर अपनी मूर्खता पर बहुत शर्म महसूस हुआ । उस व्यक्ति की सजा माफ कर दी गई और उसे इज्जत के साथ राजदरबार से उसके गांव भेज दिया गया ।

Monday, September 21, 2020

भक्तों के भगवान हुए वो नेता जी !

 

जब से जीता चुनाव उन्होंने बलवान हुए वो नेता जी,

छप्पन इंच का सीना हुआ पहलवान हुए वो नेता जी

देश की मीडिया बिक गई खरीदवान हुए वो नेता जी

फेंक फेंक कर मन की बात मनवान हुए वो नेता जी

शिक्षा छिन शौचालय दिया दयावान हुए वो नेता जी

हङप लिया देश के युवा का पद विद्वान हुए वो नेता जी 

रोजगार छिन चाय पकौड़े की दूकान हुए वो नेता जी 

खूब किये विदेशों की सैर हवाईयान हुए वो नेता जी 

डूब गया देश की अर्थव्यवस्था 
डूबाने वाले जलयान के कप्तान हुए वो नेता जी 

भीख मिला केयर फंड में पैसा बेईमान हुए वो नेता जी 

देशभक्ति छूङवाकर भक्तों के भगवान हुए वो नेता जी 




 


नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...