Saturday, June 29, 2019

किसी को देता है तू क्यों अपना पता ?


डर के साए में हूं मैं पला बड़ा
अब मेरा पता है मुझसे लापता
किसी को नहीं दूंगा अपना पता
अपना समझ कर देने पर लूट लेते हैं सारा सपना
उनको तू देता है क्यों अपना पता
कुकर्म में है जब वह पला बड़ा
अगर देगा उनको तू अपना पता
अपना बना कर देंगे वो तुमको दगा
दोस्त कहता है जिसे तू मान कर भला
वक्त आने पर लूट लेंगे वो तेरा कला
पहचान कर भी ना पहचानेंगे वो तुम्हें
दुख पड़ने पर छोड़ देंगे वो तुम्हें
पता नहीं वह पूछता है क्यों पता
पूछने पर देगा वो हमेशा तुम्हें अपना गलत पता
कुकर्म से जिसकी जिंदगी सुकर्म से जिसका न कोई वास्ता कभी ना देना उनको तू अपना पता नहीं तो वो दिखा देंगे तुम्हे गलत रास्ता ।


How it create-  मौका पाकर प्यार में, दोस्ती के अहंकार में कुछ लोग दोस्तों और अपने मुहब्बत से इतनी आशाएँ कर लेते हैं कि उनकी इच्छाओं को पूरा करने से ज्यादा लोगों को उनका दिल तोड़ना आसान लगता है जब यह परिस्थिति किसी रिश्ते में पनपती है तो लोग आसान काम यथा शीघ्र करते हैं ।तब एक आदमी जो अपने दोस्त और प्यार से आशा करता है ।उसका दिल टूट जाता है पर वह यह कभी नहीं सोचता है कि मेरा दिल किस वजह से टूटा है बस इतना कहता है कि उसने मेरा दिल तोड़ा है।
इसमें एक गहरा राज छुपा है कि किसी का दिल कैसे टूट जाता है ?
दरअसल जब कोई इंसान किसी से प्यार या दोस्ती करता है तो वह अपने यार और दोस्त को इंप्रेस करने के लिए एक किमती चीज भेंट  स्वरूप प्रदान करता है  आखिर वह चीज है क्या जानना चाहेंगे तो पढ़िए असल में वह चिज उसका दिल ही होता है जिसकी कीमत हमारे और आपके बाजार में क्या कोई लगाएगा पर मूर्ख इंसान का क्या है देना है तो देना है जैसे उसका दिल कोई तोहफा या खिलौना हो। यह नहीं समझ पाएगा कि जिस दिल को इतना संभालकर रखा था उसका ख्याल आगे वाला रख पायेगा कि नहीं और आवेश में आकर दे दिया।
अब सिलसिला शुरू होता है बात करने का बातों बातों मैं घर का पता पूछने का। जब दिल का पता दिया है तो घर का पता क्या है ? फलां फलां जिला में हमारा घर है और फलां-फलां  कॉलोनी में हम रहते हैं इसके बाद तो लोगों का आना-जाना ऐसा होता है कि लगता ही नहीं है कि हम दोनों दोस्त हैं भाई से भी बढ़कर है। तू मेरा सोना है। इतने अपनेपन के बाद किसी से कुछ मांगना तो लाजिमी है पर अगर आप अपने रिश्ते को यूँ ही बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको यह समझना पड़ेगा कि न तो आप उनसे ज्यादा लेने की उम्मीद रखेंगे और न कुछ ज्यादा देने की। देने से समबन्ध है कि अगर आप ज्यादा कुछ देते हैं तब भी रिश्ते में दरार बनने का खतरा बना रहता है यह मानव प्रकृति है कि जब उसका नुकसान होता है तो वह रोता है, जब कुछ मिलता है तो वहहंसता है, आप यकीन मानिये आप कहेंगे कि रिश्तों में कहाँ ऐसा होता है मगर यह होता है ।

Monday, June 24, 2019

तेरी आँखें मुझे कुछ और कहतीं हैं

   

      

तेरी आंखों की खता से वाकिफ हूं मैं,
तेरी हर अदा से वाकिफ हूं मैं,

वाकिफ है तेरा दिल तू मुझे चाहती है,
फिर भी तेरी आंखें मुझे कुछ और-और
तेरी जुबा मुझे कुछ और कहती है।

तू क्यों नहीं कहती कि मुझे तुमसे प्यार है,
ये सुनने के लिए मेरा दिल जाने कब से बेकरार है।

मुझे तुमसे प्यार है-मुझे तुमसे प्यार है,
ये कह दे प्लीज मुझे तुमसे प्यार है।


                                                      - शुभम् कुमार 

Sunday, June 23, 2019

पिता की आंखों ने कहा-

पिता की आंखों ने कहा-

मेरे पिता जी मेरी ओर देखकर कुछ कह रहे हैं,
पर हम उनकी हालात को देखकर भी सह रहे हैं।1।

उनकी आज ऐङियां घिस चुकी हैं,
शरीर की मांसपेशियां सिकुड़ चुकी हैं,
वो हमसे आज कुछ चाहते हैं,
पर हम अभी भी उन्हीं से पैसे मांगते हैं।2।

हमें आज भी अपनी जिम्मेदारियों का एहसास नहीं है,
मेहनत की जिंदगी अभी भी हमें रास नहीं है।3।

मैं पूछता हूं आखिर कब तक-
                                     कब तक वो हमें कमा कर देंगे,
कब हम उन्हें बैठा कर अपने मेहनत से
                              रोटी का दो निवाला खिला देंगे ?।4।
                                                              - शुभम् कुमार


About its creation:- 

एक दिन गांव में जब मैं खाना खा रहा था तब मेरे सामने पिताजी बैठे थे। जब मैंने उनकी ओर नजर उठाकर देखा तो  खाते-खाते मेरा गला रूंध आया आंखें सजल हो गईं वहीं पास में बैठ कर मेरी मां खाना बना रही थी और सब थे पिताजी मां से बातें कर रहे थे और मेरी नजर एकटक उनको देख रही थी और मैं यह सोचने पर मजबूर था की कैसे उन्होंने हम भाइयों को पढ़ाने के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया । ना उन्होंने कभी अपने बारे में सोचा और ना किया जैसे मिला खाया और पहना। उन्होंने कभी अपने फायदे या घर चलाने के लिए हम भाइयों की मदद नहीं ली भले ही हमारा परिवार बड़ा था और दखल देने पर नाराजगी जताई उस समय मैं भले ही छोटा था पर उनकी स्थिति को देखकर में कराह उठता था उनकी मदद करने के लिए मैं भले ही उसी समय काम करने लग जाता पर वो मेरे कमाये  रोटी को कभी स्वीकार नहीं करते जब तक  मैं एक अच्छा अफसर न बन जाता वह नहीं चाहते हैं कि मैं कभी भी उनकी तरह मजदूरी करूं ।
जब मैं उन्हें देख रहा था तब मैंने इस कविता को नहीं लिखा पर मैंने उस छण मन में आए मांगों को शब्द बना कर छोड़ दिया था जिसे मैंने अपने स्कूल उमाशंकर मेमोरियल में जाने के पहले दिन ही एक संकल्प के तौर पर पूरा किया कि मैं आज से अच्छे से पढ़ाई करूंगा मेरा इस कविता को लिखना यह प्रदर्शित करता है कि मैं बेचैन हूं अपने पिता के लिए कुछ करने के लिए और आप ?

Thought:-

अगर आप एक गरीब पिता के बेटे हैं तो अपने पिता के चेहरे पर झुरिया आने से पहले ही आपको कुछ करना होगा कुछ बनना होगा ।



Saturday, June 22, 2019

बड़े भईया

                              बड़े भईया

बड़ा है बड़ा होने की तालीम दे सकता है मुझे,
मैं उसके सामने हो जाऊं बड़ा वह कभी देख नहीं सकता मुझे।
वो मेरा बड़ा भाई है मैं उसका बड़ा नहीं,
मैं उसके सामने बोल दूँ कुछ बड़ा
हाथें रूकती कहां है जबतक दो-चार पड़ा नहीं।2।
वो बड़ा है मैं बड़ा हो नहीं सकता, 
दो-चार पङा तो क्या मैं रो नहीं सकता।3।
अगर होंगे तेरे सपने बड़े ही उटपटांग,
ले जाएगा तेरा बड़ा भाई तुझे अपने ही सिद्धांत।4।
कहे अगर बड़ा कहां तो मान लेना तुम,
अच्छे से दिए हुए निर्देशों को जान लेना तुम।5।
बड़ा भाई तो बाप के समान होता है,
अगर छोटा उसकी बात ना माने तो बड़ों का अपमान होता है



About its creation:-

याद है वो बातें आपको अपने बचपन की जब कभी आपका बड़ा भाई अपने पिता से या किसी अन्य से बात कर रहा हो और वहां जाकर आपने कुछ उटपटांग कह दिया हो और आप बिना भाई से पीटे वापस वहां से चले आए हो नहीं ना। भले ऐसी गलतियां करने के बाद वह आपको आपका पड़ोसी एक बार माफ कर दे, आपके पिता आपको माफ कर दे पर आपका बड़ा भाई कभी नहीं। वह तो अवसर ढूंढता है की कब आप ऐसी गलती ना करें और वो आपको दिखाने के लिए ही सही कब वो आपको थप्पड़ जड़े। कभी कभी शायद उनके इतना हस्तक्षेप से आप परेशान हो जाए पर आप यकीन मानिए वो उनका प्यार ही होता है।
             
                              एक दिन की बात है जब मैं अपने घर से कोचिंग की तरफ जा रहा था गांव की एक गली मैं मैंने देखा कि दो भाई लड़ रहे थे उनमें से बड़े की उम्र पन्द्रह वर्ष की होगी  और छोटे की उम्र 12 वर्ष की होगी बड़ा वाला छोटे को मार रहा था। मैं उनसे अनजान बड़े से पूछा कि-अबे ओय ! इसे क्यों मार रहा है तब उसने एक खूबसूरत सा जवाब दिया यह मेरा भाई है इसके साथ चाहे में जो करूं तू होता कौन है बोलने वाला अमूमन देखा गया है कि आपसी मतभेद में किसी वाह्य  को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए । यह बहुत हद तक सही भी है पर जब को आपस में इस तरह भीड़ जाये कि वहाँ खून की नदियां बहने वाली हो तो वहां इंसानियत को बचाने के लिए हस्तक्षेप करना ही पड़ता है पर मैं इस मुद्दे पर छोटे से बच्चों से बहस नहीं करने वाला था क्योंकि मुझे इसकी संभावना कहीं नहीं मिली कि वहाँ खून की नदियां बहने वाली थी। इस उम्र में बच्चों की लड़ाई जैसे उनके खेल का हिस्सा होता है पल में झगड़ना पल में दोस्त बन जाना वैसे मैंने खेलते वक्त उन दोनों भाइयों का प्यार भी देखा था कभी । जब उसका छोटा भाई किसी के साथ खेल रहा था तो छोटी सी बात पर उनके बीच लड़ाई हो गई और वह वहां नहीं था जब उसे पता चला कि उसके भाई को किसी ने पीटा है तो वो दौड़ते हुए आया और अपने भाई को मारने वाले को इतना पीटा कि क्या कहें जैसे उसके सर पर खून सवार हो गया हो और भावुकता बस वो  यही पुछ रहा था कि तूने मेरे भाई को कैसे मारा तूने मेरे भाई को कैसे मारा ?

Thought- आपका बड़ा भाई बाप के समान आपके सभी जिद्दों को पुरा नहीं कर सकता है, 
अगर आप ज्यादा जिद्द करेंगे तो वो आपको दो -चार लप्पङ दे भी सकता है 
पर आपको बचाने के लिए वो किसी से भी लङ सकता है ।
                                                              शुभम् कुमार 








नज़्म:- मेरी अभिलाषा

ये जो डर सा लगा रहता है  खुद को खो देने का, ये जो मैं हूं  वो कौन है ? जो मैं हूं !  मैं एक शायर हूं । एक लेखक हूं । एक गायक हूं मगर  मैं रह...