डर के साए में हूं मैं पला बड़ा
अब मेरा पता है मुझसे लापता
किसी को नहीं दूंगा अपना पता
अपना समझ कर देने पर लूट लेते हैं सारा सपना
उनको तू देता है क्यों अपना पता
कुकर्म में है जब वह पला बड़ा
अगर देगा उनको तू अपना पता
अपना बना कर देंगे वो तुमको दगा
दोस्त कहता है जिसे तू मान कर भला
वक्त आने पर लूट लेंगे वो तेरा कला
पहचान कर भी ना पहचानेंगे वो तुम्हें
दुख पड़ने पर छोड़ देंगे वो तुम्हें
पता नहीं वह पूछता है क्यों पता
पूछने पर देगा वो हमेशा तुम्हें अपना गलत पता
कुकर्म से जिसकी जिंदगी सुकर्म से जिसका न कोई वास्ता कभी ना देना उनको तू अपना पता नहीं तो वो दिखा देंगे तुम्हे गलत रास्ता ।
How it create- मौका पाकर प्यार में, दोस्ती के अहंकार में कुछ लोग दोस्तों और अपने मुहब्बत से इतनी आशाएँ कर लेते हैं कि उनकी इच्छाओं को पूरा करने से ज्यादा लोगों को उनका दिल तोड़ना आसान लगता है जब यह परिस्थिति किसी रिश्ते में पनपती है तो लोग आसान काम यथा शीघ्र करते हैं ।तब एक आदमी जो अपने दोस्त और प्यार से आशा करता है ।उसका दिल टूट जाता है पर वह यह कभी नहीं सोचता है कि मेरा दिल किस वजह से टूटा है बस इतना कहता है कि उसने मेरा दिल तोड़ा है।
इसमें एक गहरा राज छुपा है कि किसी का दिल कैसे टूट जाता है ?
दरअसल जब कोई इंसान किसी से प्यार या दोस्ती करता है तो वह अपने यार और दोस्त को इंप्रेस करने के लिए एक किमती चीज भेंट स्वरूप प्रदान करता है आखिर वह चीज है क्या जानना चाहेंगे तो पढ़िए असल में वह चिज उसका दिल ही होता है जिसकी कीमत हमारे और आपके बाजार में क्या कोई लगाएगा पर मूर्ख इंसान का क्या है देना है तो देना है जैसे उसका दिल कोई तोहफा या खिलौना हो। यह नहीं समझ पाएगा कि जिस दिल को इतना संभालकर रखा था उसका ख्याल आगे वाला रख पायेगा कि नहीं और आवेश में आकर दे दिया।
अब सिलसिला शुरू होता है बात करने का बातों बातों मैं घर का पता पूछने का। जब दिल का पता दिया है तो घर का पता क्या है ? फलां फलां जिला में हमारा घर है और फलां-फलां कॉलोनी में हम रहते हैं इसके बाद तो लोगों का आना-जाना ऐसा होता है कि लगता ही नहीं है कि हम दोनों दोस्त हैं भाई से भी बढ़कर है। तू मेरा सोना है। इतने अपनेपन के बाद किसी से कुछ मांगना तो लाजिमी है पर अगर आप अपने रिश्ते को यूँ ही बरकरार रखना चाहते हैं तो आपको यह समझना पड़ेगा कि न तो आप उनसे ज्यादा लेने की उम्मीद रखेंगे और न कुछ ज्यादा देने की। देने से समबन्ध है कि अगर आप ज्यादा कुछ देते हैं तब भी रिश्ते में दरार बनने का खतरा बना रहता है यह मानव प्रकृति है कि जब उसका नुकसान होता है तो वह रोता है, जब कुछ मिलता है तो वहहंसता है, आप यकीन मानिये आप कहेंगे कि रिश्तों में कहाँ ऐसा होता है मगर यह होता है ।


