तुम अकेले खड़े हो जाओ
कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
पहले तुम तो कदम बढाओ
तुम अकेले खड़े हो जाओखड़े हो जाओ बीच चौराहे पर
दम भर कर आवाज उठाओ
जुर्म और अन्याय के खिलाफ
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कब तक डरोगे तुम
जिंदे मुर्दों की तरह
जिनमें मरकर भी खुद जाने
की साहस नहीं शमशानों तक,
सङे गलेंगे खुद ही कहीं
कोई ले जाएगा भी नहीं
उन्हें जलाने मसानों तक
खड़े हो जाओ तुम जिंदा हो अगर
तुम्हें जरूरत कहाँ इन मुर्दों की
तुम अकेले खड़े हो जाओ, अगर
बात हो तुम्हारी सही मुद्दों की
तुम अकेले खड़े हो जाओ
के दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी
ढूंढ तेरे कदमों के निशां
चल सका क्यों नहीं संग तेरे,
वो फिर पीछे पछताएगी
तुम अकेले खड़े हो जाओ
कि दुनियाँ पिछे पिछे आयेगी